ऐ ठंडी हवाओं.....
यूँही उनकी जुल्फें लहराती रहो !
ऐ रेशमी धूप......
यूँही उन्हें नहलाती रहो !
ऐ रवि की रश्मियाँ......
यूँही उनकी पलके झुकाती रहो !
ऐ ओस की बूंदों .....
यूँही उन्हें भिगाती रहो !
ऐ शशि की चांदनी......
यूँही उन्हें देख शर्माती रहो !
ऐ रात की रानियाँ .....
यूँही उन्हें महकाती रहो !
ऐ सरगम की सात सुरों ....
यूँही उन्हें गुनगुनाती रहो !
तुम सबका ये एहसान होगा
उन्हें यूँही मेरे पास लाती रहो !
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