जब कभी मुडके देखता हूँ मैं
तुम भी कुछ अजनबी सी लगती हो
मै भी कुछ अजनबी सा लगता हूँ
हम जहां थे वहां पे अब तो नहीं
पास रहने का भी सबब तो नहीं
कोई नाराज़गी नही है मगर
फिर भी रूठी हुई सी लगती हो
तुम भी अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुडके देखता हूँ मैं
-- गुलज़ार
तुम भी कुछ अजनबी सी लगती हो
मै भी कुछ अजनबी सा लगता हूँ
हम जहां थे वहां पे अब तो नहीं
पास रहने का भी सबब तो नहीं
कोई नाराज़गी नही है मगर
फिर भी रूठी हुई सी लगती हो
तुम भी अजनबी सी लगती हो
जब कभी मुडके देखता हूँ मैं
-- गुलज़ार
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