Thursday, July 23, 2009

अगर रख सको तो एक निशानी हूँ मैं,
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं,
रोक पाए न जिसको ये सारी दुनिया,
वोह एक बूँद आँख का पानी हूँ मैं...
सबको प्यार देने की आदत है हमें,
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमे,
कितना भी गहरा जख्म दे कोई,
उतना ही ज्यादा मुस्कराने की आदत है हमें..
इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं,
सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं,
जो समझ न सके मुझे, उनके लिए "कौन"
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं,
आँख से देखोगे तो खुश पाओगे,
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं...
"अगर रख सको तो निशानी, खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं

Sunday, July 19, 2009

मोको कहा ढूंढे रे बन्दे

मोको कहा ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकांत निवास में
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काबे कैलास में
मैं तो तेरे पास में बन्दे, मैं तो तेरे पास में
ना मैं जप में ना मैं तप में, ना बरत उपास में
ना मैं किरिया करम में रहता, नाही जोग सन्यास में
नाही प्राण में, नाही पिंड में, ना ब्रह्माण्ड आकास में
ना मैं मैं प्रकुति प्रवर गुफा में , नाही स्वासों की स्वास में
खोजी होए तुरत मिल जाऊ, इक पल की तलास में
कहत कबीर सुनो भाई साधो, मै तो हु विश्वास में

Tuesday, July 14, 2009

No matter what you know

No matter what you know,
someone is always wanting to correct you,
to sell you a list of goods,
from the shop marked 'authority'.
All the 'authorities' got
frozen into stone
years ago after the great flood
wiped out original knowledge,
and left behind only these granite shadows.
Reality is always soft clay,
ever shifting and changing its shape.
Fire it into form, and
at the very moment
you are hailing it as final truth
it will break in your hands.

---- Dorothy Walters
Creative Commons License
Poetry and prose by Avishek Ranjan is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 Unported License