Tuesday, December 29, 2009

जीवन संघर्ष --- संघर्ष जीवन

आँख खुली है जबसे
हुआ शुरू जीवन संघर्ष

रो-रोकर चिल्लाकर
भूख मिटाने का संघर्ष

गिडते-पड़ते नाक तोड़कर
चलना सीखे कर संघर्ष

आधी नींद मे सवेरे उठकर
पढ़ने जाने में संघर्ष

ज्ञानार्जन की किसे फ़िक्र थी
अव्वल आने का संघर्ष

खेल-कूद मे भी होता था
जीत कर आने का संघर्ष

बड़े हुए तो पता लगा की
अभी तो शुरू हुआ नही संघर्ष

क्या इच्छा है क्या है आशा
पता लगाना भी संघर्ष

स्वयं की आकांक्षाओं, अन्य की अपेक्षाओं
पे खरा उतरने का संघर्ष

अर्थार्जन कर अपने पैरो पे
खड़े होने में है संघर्ष

कौन हितैषी कौन विद्वेषी
पता लगाना है संघर्ष

'क्या-क्यों-कैसे-' के तूफ़ानों से
लड़ते रहे करते संघर्ष

अपने लिए तो सब जीतें हैं
औरों के लिए जीना है संघर्ष

कौन है तू, और क्यो आया है
चहुँओर घुमाती जिज्ञासा कराती संघर्ष

सच है यह कोई दोमत नहीं
पग-पग पर करना है संघर्ष

पर है एक तथ्य यह भी सही
संघर्ष-रहित जीवन, जीवन नहीं

जल का महत्व समझा है वही
तपती धूप मे भटका जो कहीं

सोने मे चमक कभी आती नही
अगर अग्नि उसे जलाती नहीं

मानव रह जाता आदिमानव ही
यदि सतत-संघर्ष करता नहीं

अंततः सिर्फ़ कहना है यही
कि संघर्ष-रहित जीवन, जीवन नहीं

10 comments:

  1. Awesome stuff...some thing in the line of "Agneepath , agnee path " by HarivanS Rai Bacchan.
    Special mention to the quote
    "Manav reh jata Aadimanav hi
    Yadi Satat sangarsh karta nahi "

    Waiting for your another Soulfinding poem , KaviRaaj

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  2. इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

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  3. Thanks Mythili, didn't know you could appreciate Hindi.

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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  5. नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।
    pls visit......
    www.dweepanter.blogspot.com

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  6. its awesome poem.. I cant blv its ur first poem... If u hd startd like this ... I cn really imagine hw u ll proceed... nce 1... I really mean it :)

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  7. Badhiya hai scientist and professor ke sath ander ki awaj bhi kavi ke rup me bahar nikale ho. :)

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Poetry and prose by Avishek Ranjan is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 Unported License