हे ईश्वर! है ये तेरी कैसी कलाकारी ?
किस मुहूर्त में तूने बनाई ये नारी !
"ये चाहती क्या हैं?", प्रश्न है ये सबसे भारी
"हम किसी से कम नही", समझ गयी जब दुनिया सारी
फिर क्यो कहा "३३ % सीट हमारी !" ?
नित सरदर्द हो पिता को, जब रहती हैं कुँवारी
मनचाहे वर के लिए करती हैं 'सोमवारी'
फिर शादी के बाद उसका जीना कर देती हैं भारी
फरमाईशें इतनी, इनकी भरी रहे अलमारी
आराम की जिंदगी हो, नौकर-बंगला-गाड़ी
देर से घर जाओ तो शक होती है वफ़ादारी
रो-धोकर, चिल्लाकर, चलाती हैं आरी
सुनो ध्यान से, सलाह है एक लाभकारी
यदि खेलना चाहते हो पूरी पारी
पहले शोध करो इनपे, बढ़ाओ जानकारी
तभी कदम बढ़ाने में है समझदारी
पर सब मग्न हैं, व्यस्त है दुनिया सारी
कोई ना सोचे, समस्या ये विकट भारी
इसी असमंजस मे रहे कलाम-अटल बिहारी
यही सोचते बीत जाएगी उम्र हमारी..
किस मुहूर्त में तूने बनाई नारी !
tum narr kaunse ache ho ..:x
ReplyDeleteha ha...pata tha....!! maine kab kaha ki hum achche hain ??
ReplyDeleteआपने देखी है दुनिया आधी
ReplyDeleteसुनिए जो कहते हैं नारी वादी
नज़रों को थोड़ा और खोलिए
हर नारी को एक भाव मत तोलिये
नारी जीवन देख कर रह जायेंगे दंग
पास से देखें, मिलेगा हर रंग
और कुछ ना समझ आये तो ये कीजिये
जा कर अपनी माँ जी से मिल लीजिए
शुक्रिया :)
आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद ! मेरा नारी का तिरस्कार करने का कोई विचार नही है! कविता का भाव हास्यात्मक व व्यंग्यात्मक है, उम्मीद है, आप उदेश्य को समझेंगे ! किसी भी सिक्के के दोनो पहलू होते हैं
ReplyDeleteऔर ये भी बता दूं, माँ का अस्तित्व नारी से बहुत उपर का है......कविता व उपरोक्त वाक्य माँ के लिए उपयुक्त नही हैं !
यत्र नारी पूज्यंते रमनते तत्र देवता !
Delete@veenas: awesome comment... it really suits...
ReplyDelete@avishek: jaruri nahi hamesha tmhari tareef hi kare har koi :x
This is anthr poem tht I like, and I support the views tht are put in it....so thrs no need to form an opinion abt me, from one single poem!
ReplyDeletehttp://avishekranjan.blogspot.com/2010/01/hand-that-rocks-cradle.html
Sirji,
ReplyDeleteIts wonderful, Its better than Geethanjalli
You are deserving a Noble prize for this.