Wednesday, February 1, 2012

तुम बिन

तुम बिन
रह गया हूँ
सिर्फ एक...

बात जो अनकही रह जाए

लम्हा जो याद बनने को तरस जाए

याद जिसे भुला दिया जाये

चिंगारी जो जल जाए

आँसू जो आँखों में सूख जाए

ख्वाब जो ख़यालों में ग़ुम जाए

कहानी जो शुरू होते ही ख़त्म हो जाये

आवाज जो खुद को भी सुन न पाए

नदी जो पर्वत पर विलीन हो जाये
 
बूँद जिसे मनमानी हवा कहीं ले जाये

2 comments:

  1. :) Pretty!! Reminds me of the song "Ik Ladki ko dekha"..innumerable comparisons that I could never think of!!

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  2. Yes, that's an adorable song. My poem is more melancholic, as compared to the song which is a little optimistic, and more romantic ! Thanks !! :)

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Poetry and prose by Avishek Ranjan is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 Unported License