Saturday, February 29, 2020

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता

यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में आग लगी हो तो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो? यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में लाशें सड़ रहीं हों तो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो? यदि हाँ तो मुझे तुम से कुछ नहीं कहना है। देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता कि एक हिस्से के फट जाने पर बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें और नदियां, पर्वत, शहर, गांव वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें अनमने रहें। यदि तुम यह नहीं मानते तो मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है। इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा कुछ भी नहीं है न ईश्वर न ज्ञान न चुनाव कागज पर लिखी कोई भी इबारत फाड़ी जा सकती है और जमीन की सात परतों के भीतर गाड़ी जा सकती है। जो विवेक खड़ा हो लाशों को टेक वह अंधा है जो शासन चल रहा हो बंदूक की नली से हत्यारों का धंधा है यदि तुम यह नहीं मानते तो मुझे अब एक क्षण भी तुम्हें नहीं सहना है। याद रखो एक बच्चे की हत्या एक औरत की मौत एक आदमी का गोलियों से चिथड़ा तन किसी शासन का ही नहीं सम्पूर्ण राष्ट्र का है पतन। ऐसा खून बहकर धरती में जज्ब नहीं होता आकाश में फहराते झंडों को काला करता है। जिस धरती पर फौजी बूटों के निशान हों और उन पर लाशें गिर रही हों वह धरती यदि तुम्हारे खून में आग बन कर नहीं दौड़ती तो समझ लो तुम बंजर हो गये हो- तुम्हें यहां सांस लेने तक का नहीं है अधिकार तुम्हारे लिए नहीं रहा अब यह संसार। आखिरी बात बिल्कुल साफ किसी हत्यारे को कभी मत करो माफ चाहे हो वह तुम्हारा यार धर्म का ठेकेदार, चाहे लोकतंत्र का स्वनामधन्य पहरेदार।

- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

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