Saturday, September 10, 2011

ऐ मेरी तन्हाई

ऐ मेरी तन्हाई , 
मै तुझसे प्यार करता हूँ!
मुझे तू छोड़ चली ना जाना,
अब तुझे खोने से डरता हूँ!!

भागता रहा तुझसे डर-डर के, 
कितने दिन काटे रोज मर-मर के!
भटकता रहा किसकी तलाश में
पता नहीं था तू थी मेरे पास में!!

दिन ढला, रात जब आई
साए ने भी साथ छोड़ा !
तू बिन-बुलाये, बिन-बताये
हवा सी साथ चलती रही!!

तुझसे मिलने के बाद मैंने,
इस अंतर्मन को जाना !
इस दिल को पहचाना
एक बेगाना अनजाना !!


वफ़ा ना कर सके तू अगर
चुप-चाप, धोखे से चली न जाना पर,
साँसों की गिनती कर लूँ मैं पूरी
तब तक तो साथ निभाना!

ऐ मेरी तन्हाई 
मै तुझसे प्यार करता हूँ!
मुझे तू छोड़ चली ना जाना
तुझे खोने से डरता हूँ !!

1 comment:

  1. बढे हुए कदम तेरी तलाश में
    बस तेरी चाहत की तलाश में...

    कुछ मुजे भी पिला दी होती
    तेरी दर्द -ए- दिल की दवा..
    मैं तो निकला था उसी दवा की तलाश में....

    एक जमाना गुजर गया पर
    तू न ढली मेरे मन से..
    हूँ मैं उसी एक शाम की तलाश में....

    इस मोहब्बत में
    शायद वफ़ा न हुई मुझसे...
    वफ़ा की चाहत में उसी बेवफा की तलाश में ...

    जो मिला दे कोई
    मेरे महबूब से एक बार..
    निकल जाऊँगा फिर मैं मेरी तनहाई की तलाश में...

    - Ganesh

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Poetry and prose by Avishek Ranjan is licensed under a Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 Unported License